Kumar

Cartoons

थप्पड़ से डर नहीं लगता, साहब…

थप्पड़ से डर नहीं लगता, साहब… टमाटर के बढ़ते दाम से लगता है! हमें पूरी तरह एहसास है कि यह कार्टून आज के समय के हिसाब से शायद उतना सटीक न लगे, क्योंकि जब इसे बनाया गया था, तब टमाटर के दाम आसमान छू रहे थे। लेकिन जब आप इसे देख रहे होंगे, तब संभव […]

Short stories

हम खेलते नहीं, सिर्फ खेलने के लिए…

खेल के प्रति हमारी सच्चाई इसी बात से समझी जा सकती है कि हमारे पास खेल की सारी वस्तुएँ और समय न होने के बावजूद, हम अपने आसपास की चीज़ों से ही क्रिकेट का बैट, बॉल, पूरा स्टेडियम और खेलने के लिए दो टीमें बना लेते हैं। हमारा जनरेटर के तेल का डब्बा विकेट बन जाता है, फावड़ा हमारा बैट, और निर्माण स्थल हमारा स्टेडियम।

Poems

एक पुरानी कविता | अकाल और उसके बाद

कविताएँ कभी पुरानी नहीं होतीं, भले ही उनके संदर्भ बदल जाएँ। जब भी हम इस कविता को पढ़ेंगे, तो हमारे दिमाग में गाँव के अकाल की नहीं, बल्कि 2020 के कोविड महामारी के बाद की तस्वीरें आएँगी।

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