अम्मा के हाथों बना शहर

अम्मा सर पर काम का, पीठ पर खुशियों का भार लादे, निरंतर झुकती, उठती, मुस्कराती, डरती...

अम्मा, सिर पर काम का और पीठ पर खुशियों का भार लादे,
निरंतर झुकती, उठती, मुस्कराती, डरती,
दिन की दिहाड़ी ख़त्म करती है।
मुन्ना, अम्मा की पीठ से देखता है
अम्माओं और मौसियों के हाथों से बना चमकीला शहर।

- अर्पिता

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She is an artist based out of Jharkhand.

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