Guess the book
उन्होंने सुना ‘ग में छोटे उ की मात्रा गुडिया’ ! खिड़की की तरफ उन्होंने देखा एक बच्चा और बच्ची दोनों की ऊँचाई बराबर थी | खिड़की के निचे की चौखट तक दोनों की ठुड्डी थी | रघुबीर प्रसाद ने उन्हें देखा तो वो दोनों मुस्कुराये | फिर दोनों हँसने लगे | उनकी हंसी सुनकर निचे बैठी हुई गुडिया नाम की लड़की भी खड़ी हो गयी | रघुवीर प्रसाद ने उसे देखर कहा “ब में छोटी उ की मात्रा बुढिया |“
पत्थर से जिस्म का तोल
हमारी कमजोरियों को सिखावटी झोल में घोलकर,
हमें कटपुतली बनाते हैं।
ये कार्य करो तो सम्मान, न करो तो घृणा की नज़रों से देखा जाता है।
बाबा ने कहा, “तू टूटना मत !”… पैरों की थिरकन फिर कभी नहीं रुकी
” मुझे लगता है, अगर मैं परफॉर्मेंस के पैसे लेने लगूँ, तो मेरे बच्चे (स्टूडेंट्स) क्या सीखेंगे? उन्हें लगेगा पैसा ही सब कुछ है। मुझे लगेगा मैं अपना डांस बेच रही हूँ। मेरे पास कुछ बहुत ग़रीब बच्चे आते हैं, तो मैं उनसे फ़ीस नहीं लेती।”
कागज़ का गुलाब
मौका ही नहीं होता था बात करने का। जब तक वह लड़की अख़बार लेने बालकनी में आती, तब तक राजू नीचे जा चुका होता। इन दोनों की ओर से मानो डोरबेल ही एक-दूसरे से बात करती थी…