एक पुरानी कविता | मुझे देवों की बस्ती से क्या

एक पुरानी कविता | मुझे देवों की बस्ती से क्या

मैं मजदूर हूँ मुझे देवों की बस्ती से क्या!अगणित बार धरा पर मैंने स्वर्ग बनाये, अम्बर पर जितने तारे उ…

Guess the book

Guess the book

Death was the sentence reserved for everyone of them, for all those who rejected a society of spinel…

हम गिरेंगे

हम गिरेंगे

मजदूर ज़्यादा गिरता इससे पहले ही मर गया, इस मरने पर कुछ आवाज़ ज़िंदा हुई, कुछ कलम ऊपर आये कुछ टेलीव…

अधूरी पूर्णिमा

अधूरी पूर्णिमा

पूर्णिमा जब कोठियों की ओर जाने के लिए बस्ती की टेढ़ी-मेढ़ी गलियों से निकलती, तो रास्ते में इधर-उधर ल…

The daily waiting game

The daily waiting game

The number of labour chowks, or nakas, is rapidly increasing along with the city’s expansion—a clear…

Guess the book

Guess the book

The novel is set in Shimla. The author was born in present-day Pakistan, which was then part of undi…


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